आज राम आए है
आज राम आए है
हमारे राम आए है
चारों धाम आए है
राजा राम आए है
अवध पुरी को आज सजा दो दीपों की मालाओ से
धरा से नभ तक गर्जन हो धनु की टंकारों से
तम न रहेगा जग में कहीं कहो दीप मालाओ से
तम मिटा आए है राजा राम आये है
आज राम आये है चारों धाम आए है
प्रीत अगर हो सच्ची तो रब भी मिलने आते है
मनुज हो या दनुज कोई दस शीष दे जाते है
पाप का घट भर जाए तो दस शीष कट जाते है
तारण हार आए है राजा राम आए है
आज राम आए है चारों धाम आए है
दीपो का दीपोत्सव ये हमें यहीं सिखाता है
सागर तक का भी दर्प तो चूर चूर हो जाता है
पत्थर तक तर जाते है राम सेतु बन जाता है
लेते नाम आए है सियाराम आए हैंं
आज राम आए है चारों धाम आए है