अक्सर बया करते है,
हरकोई मोहब्बत के नाम।
कहते हैं छोड़ के गया हरकोइ,
मोहब्बत के नाम।
फिर भी देखने को मिलता है....आज भी कलयुग,
सतयुग के नाम।
क्योंकि......
मैंने तो देखी है करीब से सच्चाई,
मेरे दोस्त के नाम।
हमें तो नशा दोस्ती का जो है..।
इसलिये, दो लब्ज़ दोस्ती के नाम।