शीर्षक-एक दीपक उनके नाम का भी जलाना)

एक दीपक उनके नाम का भी जलाना
जो अर्धागिनी के प्यार को छोड़कर,
परिवार के मोह को तोडकर,
वतन को आबाद करने धरती माँ की कोख में सो गए, अब्सारो में मातृभुमि की आन का अरमान लिए,
आजादी का फरमान लिये,
जब खबर आजादी की सुनी ,
तो क्या अल्फ़ाज रहे होंगे उनके,
दिवाली उनकी यादों के बिना मत मनाना,
जो अपने प्रियजनों की याद बन कर रह गए,
जो न अब इस पार है, न उस पार है,
एक दीपक उनके नाम का भी जलाना ,
जिनकी बदौलत "आज हम दिवाली मना रहे है,
जो उनकी तकदीरों में नहीं है,
बस सामने उनके तस्वीरों में है,
कब तक यूँ अकेले दिवाली मनाओंगे,
क्या एक दीपक उनके नाम का नहीं जलाओगे?


कौशल्या भाटिया

Hindi Poem by Kaushalya : 111904633
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now