तुम्हें याद होगा.... निश्चय ही तुम्हें याद होगा....
क्रोध तुम्हारा किस
तरह बढ़ा था..... तुमने एक बार भी सोचा न होगा
पीड़ा के तूफानो ने किस तरह मुझे घेरा...
तुमने तो एक बार भी न सोचा होगा" मेरे उद्वेलन मन की व्यथा..
याद है,,, तुमने सारे आलम्वन ,के साथ पीढ़ा का अनुभव भुझे करवाया
तुम्हें याद होगा निश्चय ही याद होगा... अनेक सवालो के जबाब बिना दिए तुम गये....
अनायास ही वो दिन बार- बार रह-रह
कर,,,मन को पीढ़ा
पहुँचाते है,,, क्या ?
तुमको इस पीढ़ा की अनुभूति नहीं होती????
क्या ? तुमको खुद पर सन्देह नहीं होता ....
तुम्हे याद नही है ये कैसे मानूँ,
निश्चय ही तुम्हे
सब याद है... 🌿✍️
@Shivaninany
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