कबीर दास जी के दोहे
सात समंदर मसि करूं, लेखनि सब बनराय।
सब धरती कागद करूं, हरि गुण लिखा न जाय।।
साहेब बंदगी 🙏
भावार्थ - संत कबीर दास जी कहते है कि चाहें सातों समुद्र की स्याही बनाऊं , सारे वृक्षों की कलम और सारे पृथ्वी का कागज बनाऊं तो भी प्रभु के गुणों का वर्णन कर पाना संभव नहीं हैं।