सच तो यही है, दुनिया का तो काम ही है कहना,
आप ऊपर देखकर चलोगे तो कहेंगे कि अभिमानी हो गए।
नीचे दखोगे तो कहेंगे कि बस किसी के सामने देखते ही नहीं।
आंखे बंद करोगे तो कहेंगे कि ध्यान का नाटक कर रहा है।
चारों ओर देखोगे तो कहेंगे कि निगाह का ठिकाना नहीं, निगाह घूमती ही रहती है।
और परेशान होकर आंख फोड़ लोगे तो दुनिया कहेगी कि, किया हुआ भोगना ही पड़ता है।
ईश्वर को राजी करना आसान है, लेकिन संसार को राजी करना असंभव है।
सीख :-
दुनिया क्या कहेगी? इस पर ध्यान दोगे तो आप अपना ध्यान नहीं लगा पाओगे।
अतः कर्म करो, आलोचनाओं की चिंता न करो।