लो,मेरा मन ले लो
तुम्हें लौटाना है
मेरे प्यार की मुस्कराहट,
पगडण्डियों की सुगबुगाहट,
सहेलियों की फुसफुसाहट,
हवाओं की तनातनी
जीवन की उठा-पटक
क्षण-क्षण का आलोक
आँखों की मधुरता
बहाव की सरसता
स्नेह की नन्हीं लम्बाई
गीतों का सुर -साथ
बेजोड़ ज्ञान-विज्ञान ।
तुम्हें उठाने हैं
देश की ज्वलन्त समस्याएं
शब्दों पर सवाल,
लोक-परलोक की बातें
इतिहास की गूँजें।
लो,मेरा मन ले लो
तुम्हें उत्तर देना है।
*महेश रौतेला
सितम्बर २०१५