एक “तू” वजह ही काफ़ी है
यूँ तो हज़ार उलझनें हैं मेरी ज़िंदगी में ,
मगर मेरे मुस्कुराने के लिए ,एक तू वजह ही काफ़ी है ,,
यूँ तो हज़ार बहाने हैं , मौत से रूबरू होने को ,
पर ज़िंदगी से गले लगाने को ,एक तू वजह ही काफ़ी है ,,
यूँ तो हज़ार ख्वाहिशें है , पूरी करने को ,
सजदा सिर्फ़ तेरा करूँ, यह ख़्वाब ही काफ़ी है ,,
यूँ तो मुकम्मल जहान मिलता नही ,हर किसी को ,
मुझमें तुम हो , तुझमें मैं हूँ ,यह जज़्बात ही काफ़ी है ,,
यूँ तो तरीक़े भी हज़ार हैं ,खुश रहने के ,
पर रूठ जाने पर तू मनाए , वो अहसास ही काफ़ी है ,,
वैसे तो बहुत निराशा है छायी हर तरफ़ ,
पर तुझसे मिलने को , एक आश ही काफ़ी है ,,
यूँ तो आसमान भी अधूरा है बिन ज़मीन के ,
पर हांथ में जब हांथ तेरा हो , संपूर्णता का वो आभास ही काफ़ी है ,,