तुम कांति हो मेरे, यह बता सकती नहीं
रश्मियाँ ज्यों अपनी आभा छिपा सकती नहीं..
दूर दूर तक यह नीलमणि सा फैला आकाश
ज्यों अपनी माणिक मुक्ता अपनी कीमत दिखा सकते नहीं "
----- #डॉ_अनामिका -----

-डॉ अनामिका

Hindi Poem by डॉ अनामिका : 111866980

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