इश्क है इस दिल का करार भी
मुझे सुकून मिला दर्द बेहिसाब भी
ना करूं मोहब्बत तुझे दिल रूका ही नही
जज्बात में ऐसे बह जा रहे खुद को गवाया भी
़ तू मेरा इश्क का हर्फ पढु और तुझे गढ़ू भी
मलाल नहीं तु ही दिल मे और दिल से दूर भी
कभी जुदा कर ना पाए अपने वजूद से लम्हा
तेरा साथ मयस्सर नहीं फिर इश्क मुक्कमल भी