Quotes by संदीप सिंह (ईशू) in Bitesapp read free

संदीप सिंह (ईशू)

संदीप सिंह (ईशू) Matrubharti Verified

@sandeeprajpoot1119gmail.com004059
(40)

धर्मों रक्षति रक्षित :

epost thumb

आप सभी पाठकों को नेता जी सुभाषचंद्र बोस के जयंती दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। 🙏❤️🇮🇳

आप सभी के स्नेहिल आशीर्वाद से आज मुझे इस लेखन स्थान पर 10K + डाउनलोड के साथ ही ब्लू टिक प्राप्त हुआ।
आप सभी का हृदय से आभार 🙏❤️

कल प्रभु श्री राम जी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के पावन दिवस पर मैंने अपने नूतन उपन्यास " कैकयी के राम " जो कि विगत वर्ष से ही व्यस्ततावश प्रतीक्षा मे रहा उसका लेखन आरंभ कर दिया है, मेरा प्रयास यही है कि अतिशीघ्र इसे आपके सम्मुख प्रस्तुत कर सकूं।

आपके आशीर्वाद का आकांक्षी
संदीप सिंह (ईशू)

Read More

"एक अच्छे चरित्र का निर्माण हजारो बार ठोकर खाने के बाद ही होता है।"
स्वामी विवेकानंद जी

वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु, युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद जी की पावन जयंती के अवसर पर कृतज्ञ नमन 🙏💐❤️
राष्ट्रीय युवा दिवस

Read More

आप सभी को सादर प्रणाम,
नव वर्ष की पूर्व संध्या पर आप सभी को नूतन वर्ष 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं, ईश्वर आने वाले वर्ष मे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें एवं उन्नति के मार्ग को सुनिश्चित करें।

एक बार पुनः आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें। 💐💐

नए वर्ष मे आपके लिए बेहतर रचनाएं प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध हूँ।

मेरी निम्न रचनाएं आपके सामने नए साल के प्रथम सप्ताह मे आपके सम्मुख होंगी।
आशा करता हूँ आपको पसंद आयेंगी, और आपकी समीक्षाओं का आकांक्षी हूँ 🙏❤️

Read More

आईने अक्सर गवाही देते हैं,

" आईने अक्सर गवाही देते हैं,
हम बेग़ैरत है जो अक्स को सफाई देते है,
कभी टूटता है जब ये आईना,
खुद को करके घायल खुदी को दवाई देते है।
दोष आईने का होता नहीं,
वो तो बस रूबरू कराता हमको,
धूल जमती है चेहरे पर ' ईशू ',
हम आईने को झड़ाई देते है।
आईने अक्सर गवाही देते हैं,
हम बेग़ैरत है जो अक्स को सफाई देते है। "
- संदीप सिंह (ईशू)

Read More

कविता
सुन रहा है ना तू ... कुछ कह रहा हूँ मै

" संदीप सिंह (ईशू)"

सुन रहा है ना तू ..... कुछ कह रहा हूँ मै ,

सुन रहा है ना तू..... कुछ कह रहा हूँ मै,

कुछ ज्यादा नही है ख्वाहिशें अपनी,

बेहद छोटी सी दुनिया है मेरी,

जहाँ हैं कुछ कच्ची उजड़ी पगडंडी ,

जब कभी बारिश, ओले, धूप, थपेड़े,

तेजी से आते है दौड़े.....

करता हूँ बचने को इनसे,

किंचित संसाधन है थोड़े मोड़े,

सुन रहा है ना तू..... कुछ कह रहा हूँ मै,

फिसलन, रपटन, गिरना उठना,

फिर संभालना आगे बढ़ना,

विपरीत आँधियों से लड़ता,

अब टूटा सा जा रहा हूँ मै l

सुन रहा है ना तू.... कुछ कह रहा हूँ मै l

मैंने कब रोका तुमको कि...

ना लो मेरी कठिन परीक्षा,

स्मृति मे जा कर देखो...

करबद्ध निवेदित सा... मांगी थी कुछ भिक्षा,

सुन रहा है ना तू... कुछ कह रहा हूँ मै।

देना बिखेर भले अंगारों पर,

तृण भर भी आह नही निकले,

बस जीवित 'साहस' को रखना,

तपिस रूह से क्यो ना मिल ले..

सुन रहा है ना तू... कुछ कह रहा हूँ मै,

माना जीवन है मरूधर सा ,

" ईशू "समुचित पानी की आस रहे,

जब तक जीवित रहे शक्ति अश्व,

तब तक मरूधर मे हरियाली घास रहे,

द्रवित हृदय से निवेदित..... बस हरियाली घास रहे।

संदीप सिंह (ईशू)

Read More