कईओ के हाथ में कई दिये,
हमे अंधेरों का सलाम भेजा है...
बना दिया उनको रोशनी का राजा,
हमे अंधेरों का सरताज बनाया है...
देखो दूर से वो जगमगा रहे है,
हमारे पास तो अंधेरा ही अंधेरा है...
बाखुब हुनर होगा उनका,
जो दिये ने उसको चुना है...
सायद दिल ही नही होगा बेवफाई वाला हमारा,
तभी तो अंधेरों ने चारो और से घेरा है...
मतलब खुब दिख रहा होगा दियो को भी,
पर उसको तो रात में भी सवेरा है...
हम तड़प रहे है एक सच्ची लो जलाने को,
पर दियो ने भी पहन रखा मुखौटा है...
किस्मत कहो,की कहो हुनर उनका,
सब मुबारक उन्हें, हमे मुबारक अंधेरा है...
हम लगे हुए थे अंधेरा मिटाने को, नासमझ थे सायद,
क्योंकि हमे तो रोशनी दिखाने वाला ही अंधेरा है...