बस इश्क़ है बाकी अब मुझमें
तेरे इश्क़ में मरना तुम क्या जानो
जब साँसों से आहें गुजरी थी
उस प्यार की चाहत तुम क्या जानो
कुछ गालों पर महसूस हुआ था
तब सीने की हलचल तुम क्या जानो
जिस खामोशी से धड़कन शोर मचाती
उस सरगोशी का आलम तुम क्या जानो
है दर्द भी जरा सा बहका बहका
इमरोज़ ये चाहत तुम क्या जानो
अब ख़्वाबों की ख़्वाहिशें भी मचल रही
तेरी उल्फ़त के साये तुम क्या जानो
@रश्मि