सावन के सुहाने मौसम को समर्पित मनभावन पांच दोहे ❤️❤️
दोहे
सावन की रिमझिम झङ़ी, खिला धरा का गात।
नदियां सागर हो गई, प्रेम बहे दिन रात।।
सावन आया देखकर, कोयल गाती गीत।
बादल, बरखा,मलय से, जन्म जन्म की प्रीत।।
कोंध रही है बिजलियां, चले हवा झकझोर।
भीगे पंछी सोचते ,जाऊं मैं किस ठोर।।
सोना निपजेगा यहां, धरा करे रसपान।
बारिश से चौङ़ी हुई, कृषक की मुस्कान।।
इंद्रधनुष को देखकर , करते बच्चे शोर।
तितली डोले बाग में , जंगल नाचे मोर।।
©डॉ पूनम गुजरानी