#7दोहे - #मटकी पर
माटी मटका रूप धर, करता बङ़ा कमाल।
धरे कमर पर गोरङ़ी , हो गया मालामाल।।
माटी पानी में मिले, सहन करे फिर आग।
सबकी प्यास बुझाय फिर,गाए शीतल राग।।
गागर में सागर भरे , पनिहारिन घर जाय।
तृप्ति दे परिवार को, सुख स्वर्ग सा पाय।।
माटी जब मटका बने, कीमत करते लोग।
मिहनत करते जो यहां, उसे मिले संजोग।।
दो गागर माथे धरी, दो गागर धर हाथ।
ठुमक चले पनिहारियां, बातें सखि के साथ।।
नेह नीर सा राखिए, बूंद बूंद अनमोल।
इसके बिन जीवन नहीं, लो अंतर्मन तोल।।
डॉ पूनम गुजरानी