##..सुकुन"💜
उसने हमें चाहा बेइंतहा
हम चाहकर भी न चाह सके उसका साथ
बिना स्वार्थ के ही लुटाता गया वो मोहब्बत
हम चाहकर भी न संभल सके अपना दिल
बाहें फैला कर कहेता हैं
इसी हवाओं में है मोहब्बत का एक नशा
हम न चाहकर भी उसके बाहों में सिमट गए
जैसे बाहों में हीं मिल गया हो मुझे
"मोहब्बत का नशा"
मेरे बालों में हल्के से अपने हाथ सहलाते हुए
पुछता है "कैसा है ए मोहब्बत का नशा?"
अपनी आंखों को, उसकी आंखों में पिरोते हुए
कहां: "जो कहीं नहीं मिल सके वो सुकुन जेसा"
-Vaishali Rathod