कल वो मिली थी –
हवाओं का थामें दामन
बादलों का चेहरा लिए
झरने की पायल पहने
बारिश की खनक लिए
बिजली की चमक लिए
सूरज की दमक लिए
पंछियों की चहक लिए
चमेली की महक लिए
शायद
घुल गई है वो
कतरा कतरा सारी कायनात में
या कि
समाँ गई है
फैली सारी कायनात ही उसमें
जो भी है
पर अब नहीं है इंतज़ार कि वो आये
अब रंग रूप बदलकर
मिल ही जाती है वो अक्सर
हवाओं की सरसराहट में,
बादलों की नमीं में,
झरने की छमक में,
बारिश की रिमझिम में,
बिजली में, सूरज में
पंछी के कलरव में
फूलों की सुरभि में
जान लेता है मन अब –
उसकी हर दस्तक को
उसकी हर कम्पन को
उसकी हर श्वास को
वो अब रहती है यहीं कहीं
आसपास मेरे
ढेर सारा प्यार लिए
सदा के लिए
सदा के लिए
:- भुवन पांडे
#WomensDay