मुझ में गुम हो कहीं या मेरे साथ रहते हों
बड़ा अच्छा की तुम आस पासरहते हों।

नहीं सिकवा कोई ना अब कोई शिकायत है
तुम्हारा प्यार कि जो खुदा की मुझमें इनायत हो।


तुम्हारी माशुमियत के किस्से भले कोइ नहीं है
मेरी मशुमियत में तेरी मशुमियत सामिल हो

Hindi Shayri by VANDANA VANI SINGH : 111741338
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