दूर होके भी तुम सब खबर रखते हो ,
इतनी आखिर मेरी तुम क्यूं फिक्र करते हो ,
मुझसे बिछड़ने का डर है तुम्हारे सीने में
फिर भी क्यू अंजान होने का जिक्र करते हो ।

Hindi Shayri by अंजान की बातें : 111731441
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