"माँ"
जब भी चोट लगी माँ मुझको,
मैंने तुम्हें पुकारा है।
तत्क्षण गोद में लेकर माँ,
तुमने ही पुचकारा है।
भूख लगी जब भी माँ तुमने,
अपने हाथों से खिलाया है।
नींद नहीं आने पर भी माँ
तुमने लोरी गाकर सुलाया है।।
छोटी सी गलती पर भी
माँ तुमने ही फटकारा है।
पर मुश्किलों में हरदम
माँ तू ही बनी सहारा है।।
जीवन के हर सुख से उपर
माँ तुम मुझको प्यारी हो।।
मेरी खुशियों की बगिया की
माँ तुम्हीं फुलवारी हो।।"
अम्बिका झा ✍️
-Ambika Jha