हम को याद न आओ अब
भर जाने दो घाव अब

आग बुझाओ तन-मन की
ऐसा मेंह बरसाओ अब

जाना है उस पार हमें
माँझी और न नाव अब

अपने रोज़ा-दारों को
रमज़ान का चाँद दिखाओ अब

रूठा यार मनाना है
कोई स्वाँग रचाओ अब

Hindi Shayri by પ્રેમ નો જોકર : 111693367
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