Hindi Quote in Poem by Ambika Jha

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"नारी"

"नारी जीवनदायिनी नारी की पहली गोद मिली
नारी के आँचल की छाँव में मुझे सुकून मिला।

युगों-युगों से इस धरा पर नारी का प्रतिकार हुआ।
बालों से घसीटा कभी आँचल को फाड़ दिया।।

भरी सभा में अपनों ने नारी का तिरस्कार किया।
अस्मत को लूटा इज्जत को तार-तार किया।।

फिर भी नारी माँ बनकर बच्चे को पुचकारा है।
बहू बनकर परिवार को संभाला और संवारा है।

हर रूप में हर रिश्ते को प्यार और सम्मान दिया।
बच्चे आँखों के ज्योति पति को स्वाभिमान दिया।

पिता के सम्मान में ख़ुद का ही बलिदान दिया।
बच्चे को पाला जीवन मार्ग और ज्ञान दिया।।

अपनों की हर गलती को नजरअंदाज किया।

समस्याओं का जिसने हर पल निदान दिया।।

विपदाएँ हर, अपने आँचल में आँसू समेट लिया।
घर हो या फिर हो ऑफिस अपना योगदान दिया।

बनी आत्मनिर्भर समाज को पूरा सम्मान दिया।
बच्चे की बलाएँ लेने अन्न जल का त्याग किया।

पति की उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत किया।
खुद भूखे रहकर भी बच्चे को स्तनपान दिया।

गीले में सोकर भी बच्चे को सूखे पर सुलाया है।
वह नारी है जो बच्चे की विपदा दूर भगाया है।

नारी ही है वक्त पडे तो दुश्मन को धूल चटाती है।
बनती रानी लक्ष्मीबाई, तो कभी महाकाली है।

वह नारी है दिन रात जागकर सेवा करती है।
सुकून की नींद देने को लोरी भी वह गाती है

अपनों की गलती पर डाँटती और चिल्लाती हैं
पर डाँट में चिंता और प्यार झलक ही आती है।

जब आँख खुली तो एक नारी की गोद मिली
नारी के स्तन के एक बूंद से जीवनदान मिला।।"

‌ ‌ अम्बिका झा ✍️

-Ambika Jha

Hindi Poem by Ambika Jha : 111671634
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