"पनिहारियाँ"
"आज गाँव के पनघट पर ना देखोगे तुम नारियाँ
चक्कर खाते रह जाओगे ना दिखेंगी पनिहारियाँ
सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉक पर तुमको दिख जाएंगी।
ऊंची हील की सैंडल पहने कॉलेज में मिल जाएंगी
सुबह-सुबह की आरती में मंदिर में दिख जाएंगी
या आफिस के कामों में व्यस्त बहुत मिल जाएगी।
मिल सकती किचन में टिफिन पैक करती हुई।
या फिर फैंसी साड़ी में मॉडलिंग करती हुई।।
दिख सकती देश की सुरक्षा में खड़े सैनिक के कतारों में।
या आसमां को छूते सुनहरे सपनों के ख्यालों में।
दिख सकती है उड़ते फ्लाइटों के ऊंची उड़ानों में।
या समाज को शिक्षित करते हुए अभियानों में।
दिख सकती परिवार के जिम्मेदारी निभाने मेंं
या औरों के हक के लिए आवाज उठाने में।।
दिख सकती हैं अत्याचारों के खिलाफ लड़ते हुए
या अत्याचारयों को सबक सिखलाते हुए।।
आज गाँव के पनघट पर ना देखोगे तुम नारियाँ
चक्कर खाते रह जाओगे ना दिखेंगी पनिहारियाँ।।
अम्बिका झा ✍️
-Ambika Jha