"चलो कहीं घूम आते हैं"
"चलो कहीं घूम आते हैं।
एक नया इतिहास रचाते हैं।
हकीकत में ना सही ख्वाबों में ही,
कुछ पल साथ बिताते हैं।।
चलो कहीं घूम आते हैं।।
थक गई कर्तव्य चक्की में पीस कर
जिम्मेदारियों का बोझ ढ़ोकर
कुछ पल सुकून का जी ही लेते हैं।
चलो कहीं घूम आते हैं।।
इन आंखों में प्रकृति के,
कुछ हिस्सों को बसाते हैं
वर्षों से खामोश पड़े जज़्बात को,
चलो आज पंख लगाते हैं।
चलो कहीं घूम आते हैं।।
करते हैं सैर होकर दुनिया से बेखबर,
नैनों में बसा दिल में आत्मसात कर,
कुछ पल यूं ही मुस्कुराते हैं।
चलो कहीं घूम आते हैं।।
ना मंदिर ना गुरुद्वारे
ना किसी तीर्थ स्थल पर जातें हैं,
भरकर मन में प्रेम की भावना,
किसी अनाथ आश्रम से होकर आते हैं,
चलो कहीं घूम आते हैं।।"
अम्बिका झा ✍️
-Ambika Jha