""सुनो तुम्हें कुछ आज कहूँ"
""सुनो तुम्हें कुछ आज कहूँ,
अपनी दिल की हर बात कहूँ,,
सोये हुए जज़्बात कहूँ,
कुछ दर्द कहूँ कुछ ख्वाब कहूँ,
कुछ, सपनों से भरे जज़्बात कहूँ,,
कह दूँ तुम्हें, दिल की हर ख्वाहिशें।
तुम से मिलकर जो खुशी मिली,
वो खुबसूरत एहसास कहूँ,
शब्दों के सागर में उतर कर
अपने दिल का कुछ हाल कहूँ,
लहरों के तुफ़ान में तिनका-तिनका,
बिखरे जज्बातों के ख्यालात कहूँ,
सुलगती ख्वाहिशों के कुछ राज कहूँ।
अंतर्मन के वेदना के कुछ अनकहे जज़्बात कहूँ,
अपने उपर हुए जुल्मों का कुछ हिसाब कहूँ,।
वक्त की साजिश, के तहत किस्तों में
टूटे दिल के हालात कहूँ,
किस्मत के फैसले का कुछ मजाक कहूँ,
ग़म गीन आँखें और खामोश लबों की
कुछ भुली बिसरी याद कहूँ,।
सुनो ना, कुछ शिकायत कहूँ,,
या कुछ अधूरी चाहतें,
अच्छा जाने दो,
आज़ नहीं कल के बाद कहूँ,।।
कभी आँखों में आँसू कभी
खुशियों से भरी हुई मुस्कान कहूँ।
हमारे ऊपर किए गए तुम्हारे ऐहसानों के लिए,
तुम्हें बारंबार धन्यवाद कहूँ।।"
अम्बिका झा 👏
-Ambika Jha