इतना भरोसा न कर,न जाने कितना साथ निभा पाउ
दो-चार क़दम कि बात औऱ हैं,शायद ज़िंदगी भर का साथ निभा न पाउ।।
तेरी ज़िन्दगी अभी जवान हैं,औऱ मेरी साँसों का अब कोई भरोसा न रहा।
शायद इस प्यार की राह में, मैं ज़िंदगी भर साथ निभा न पाउ
दो-चार क़दम कि बात औऱ हैं,शायद ज़िंदगी भर का साथ निभा न पाउ।।
इतना भरोसा न कर,न जाने कितना साथ निभा पाउ।।
प्रवीण के सेन