बूंद बूंद के हेतु कभी, तुझको तरसाएगी हाला
कभी हाथ से छिन जाएगा, तेरे ये मादक प्याला
पीने वाले साकी के मीठी बातों में मत आना
मेरा गुण भी यूं ही गाती, एक दिवस थी मधुशाला
ले मेरे तजुर्बों से सबक ऐ मेरे रकीब,
दो-चार साल उम्र में बड़ा हूं मैं..!
:- हरिवंशराय बच्चन