हम खिलौना नहीं है जो मर्ज़ी से खेलते हो,आंखे फोड़ते हो,जुबान काट ते हो,हड्डियां तोड़ते हो हमारी,
क्या गलती है हमारी जो ऐसी दुर्दशा करते हो हमारी जीना भी लगता हो जहां भारी, वहां क्यों पूजते हो देविशक्तिं नारी,
कहीं पेट में टुकड़े करते हो,कहीं कचरे में पड़ी मिलती है लाश हमारी,कहीं गुरु ही हैवान बन जाता है,कहीं बाप भाई ही उतार देता है हम पर मर्दानगी सारी,
क्या दिल नहीं भरता तुम्हारा शरीर नोच कर हमारा,जो वहशियत के बाद भी दुनिया भर में चीरहरण करते हो हमारा,ऐसी क्या बिगाड़ दी हम ने दुनिया तुम्हारी,
क्यों दिखावे करते हो,क्यों बात बराबर हक़ की करते हो,गुरी क्यों ऐसा क्रत करते हुए क्यों रूह लाहनत से कापती तुम्हारी।
गुरी रामेआना