सच कहना तुम!क्या तुम नही जानते?हाल क्या है आज किसानी का।
सच कहना! क्या तुम नहीं जानते?कैसे कतरा कतरा सिंचता है पानी का।
सच कहना! क्या तुम नहीं जानते?कैसे आबाद करता है टुकड़ा खेत बिरानी का।
सच कहना! क्या तुम नहीं जानते?कैसे दिन ढलता है खेतों में बुढापे और जवानी का।
सच कहना!क्या तुम नहीं जानते?कैसे खरीद ते हो मिट्टी के भाव किसान का खजाना।
सच कहना!क्या तुम नहीं जानते?कैसे घर बर्बाद कर देता है किसान का फंदा लगा मर जाना।
सच कहूं!जो तुम नहीं जानते,तूफान खड़ा कर देता है किसान का सड़कों पर विद्रोह में उतर आना।
गुरी रामेआना
9636948082