(कुछ पंक्तियां समर्पित उन सभी को
जिन्होंने गुरु तुल्य मुझे कुछ दिया,
सिखाया : भुवन पांडे)
तुमने ही तो ...
मैं जानता बहुत था
पर समझ सारी
तुमने ही बनाई भीतर
मैं चला बहुत यहां वहां
पर बढ़ना आगे
तुमने ही तो सिखाया
मैंने शक्तियां बहुत बढ़ाई
पर संयम सारा
तुमने ही तो बनाया भीतर
मैं बहुत रहा जीतने की जद्दोजहद में
पर खेलना मन से मन भर
तुमने ही तो सिखाया
मैं बोला थोथा बहुत
पर सुनना गुनना गहरा
तुमने ही तो संजोया भीतर
मैंने उत्तर बहुतेरे गढ़े पढ़े
पर प्रश्न गहरे सोचना खोजना
तुमने ही तो रोपे भीतर
मैं मेहनत में लगा थका बहुत
पर लगन सारी
तुमने ही तो जगाई भीतर
मैं बाहर चकाचौंध में रहा बहुत
पर वो चिर लौ, वो दीया
तुमने ही तो जलाया भीतर
🙏🙏🙏