मोल हर किसीका बस कुछ इतना है
कौन किसके लिये जरूरी कितना है
ये दुनिया एक झाँकी
यहीं रीत है यँहा की
देखे तु खर्च कितना
कितना बचा है बाकी
यंही छोड़ जाना है पास जो भी जितना है
सपनों को बेचकर
चला जाये सौदागर
क्या रोये पछताए
किस्मत के नाम पर
ख़्वाब से किस्मत का कँहा रोज मिलना है
ये अपना वो अपना
है ये मीठा सपना
सभी जाने है यँहा
किसको कँहा रखना
जीत की खुशी तो पहले हार को चखना है
Sagar ....