#रामजीआए
अवध में आनंद है आगे,
सियावर राम पधारेंगे!
है मंगल शुभ दिन की घड़ी,
बरसती फ़ूलो की झड़ी।
सकल में उत्सव छायो है,
रघुवीर पुनः पधार्यो है!
गणेश पल आई,
गगन तक जाई।
सावन में महादेव के संग,
बिष्नु अवतार बिराजेंगे !
जो मन में राघवराया है,
जीवन जो वही सिखाया है।
वचन को प्रथम विचारा है,
संयम को स्वयं स्वीकारा है।
वीर रस अति,
सौम्य मुख छबि!
हनुमंत के स्वामी की शरण,
कुमति से मुक्ति पावेंगे।
©लीना प्रतीश