( कुछ लाइन्स मेरे गांव की उस बेटी के लिए जिसने इस कोरोना के कहर में नन्ही सी उमर में अपने पिता को हमेशा के लिए खो दिया है...)
मुझे इस हाल में छोड़ के ना जाओ ना पापा,
कुछ और पल साथ बिताओ ना पापा।
कीसिके नाम का सिंदूर लगाके किसे मिलने आऊंगी पापा,
आप तो चले गए अब में बिन बाप की कहेलाऊंगी पापा।
दिल मान नहीं रहा दिल को यकीन दिला ओ ना पापा,
अपनी गुड़िया को अकेला ना कर जाओ ना पापा।
ना था कोई गम करीब जब आप पास थे पापा,
मुझे पहले अकेले रहेना सिखाओ ना पापा।
आपकी वो डांट खाने के लिए तरस रही हूं पापा,
अपनी प्यारी को कुछ तो सुनाओ ना पापा।
आप के लिए ए दिल भी रोता है पापा,
हर वक्त आंखे ढूंढ़ती है आपको पापा।
अगर है भगवान का यही फैसला ,
तो मुझे भी साथ ले जाओ ना पापा।
मुझे इस हाल में छोड़ के ना जाओ ना पापा,
कुछ और पल साथ बिताओ ना पापा।
- prapti katariya