हाईकु विधा के प्रयोग का मेरे
द्वारा एक छोटा सा प्रयास🙏
खिलते फूल
आंगन थी खुशियां
चलना गाँव
कोरोना काल
मजदूर पैदल
मंजिल दूर
उड़ती धूल
पथिक घबराया
रखता पग
करते नाद
नहीं हो निराश
सत्ता के धीश
भूखे उदर
बाल स्वर कृंदन
मन सन्ताप
कैसे पहुँचे
थक चुका बदन
पुकारे घर
हमें विश्वास
पार होगी सड़क
खुलेंगे द्वार
संकट घड़ी
अभिमान भारत
हम हैं साथ
राजीव कुमार गुर्जर
मुरादाबाद✍🙏