जब दीप जलते हैं,प्रकाशित सबको करते हैं।
जरा सोंचो, क्या सबको वो अपना परिचय देते हैं।।
फूलों की जब सुगंधें हवा के संग मिलके चलती हैं।
जरा सोंचो, क्या सबको वो अपना परिचय देती हैं।।
बनाओ यूं ही तुम खुद को, सुगंधों रोशनी जैसा।
देंगे लोग परिचय खुद , तुम्हें देना नहीं होगा।।
प्रकृति के सब घटक यूंही,सीखते रहते कुछ ना कुछ ।
तुम्हें जीवन सजाने का नया उद्देश्य देते हैं।।
- नवनीत कुमार सिंह ' नवीन '
#परिचय