प्रेम भरे दो लफ़्ज़ों पर, हम भी दिल को हारे थे।
जितने रंग भरे जीवन मे, वो सारे रंग तुम्हारे थे।।
कांच के जैसे बिखर गए, सब सपने मेरी आँखों से।
जैसे फूल बिखर जाते हो, बिन पतझड़ के शाखों से।।
तेरी पलको के आँसू मेने, कितनी बार सँवारे थे।
जितने रंग भरे जीवन मे ,सारे रंग तुम्हारे थे।।
में तो ठहरा पागल प्रेमी,तुम रिश्तों के व्यापारी थे।
प्यार में शर्तो के सौदे ,मेरे सम्बन्धो पर भारी थे।।
शर्तो के सौदों पर हम ,जागीर प्रेम की हारे थे।
जितने रंग भरे जीवन मे ,वो सारे रंग तुम्हारे थे।।
@Pawan"अन्जान"