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Pawan Patel

Pawan Patel

@pawanpatel1716


*हाय रे ये लॉक डाऊन*

तन को सौ-सौ बंदिशें,मन को लगीं ना रोक।
तन की दों गज कोठरी,मन के तीनों लोक।

*

प्रेम भरे दो लफ़्ज़ों पर, हम भी दिल को हारे थे।
जितने रंग भरे जीवन मे, वो सारे रंग तुम्हारे थे।।

कांच के जैसे बिखर गए, सब सपने मेरी आँखों से।
जैसे फूल बिखर जाते हो, बिन पतझड़ के शाखों से।।
तेरी पलको के आँसू मेने, कितनी बार सँवारे थे।
जितने रंग भरे जीवन मे ,सारे रंग तुम्हारे थे।।

में तो ठहरा पागल प्रेमी,तुम रिश्तों के व्यापारी थे।
प्यार में शर्तो के सौदे ,मेरे सम्बन्धो पर भारी थे।।
शर्तो के सौदों पर हम ,जागीर प्रेम की हारे थे।
जितने रंग भरे जीवन मे ,वो सारे रंग तुम्हारे थे।।

@Pawan"अन्जान"

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"तेरे वादों में गुज़रा, तेरी यादों में गुज़रा।
तेरी जुदाई का लम्हा,मेरा फरियादों में गुज़रा।।
@pawan"अन्जान"

इतने लोग सवाली क्यो है?
सब भरे हुए पर खाली क्यो है??
चेहरे पर मुस्कान सजी है,,,
अंतर्मन में गाली क्यों है???

सब चेहरों में दस चेहरे हैं,,
सब आँखों के अंदाज़ कई,,,
हंसकर रोकर कोई दर्द बताये,,
कोई सीने में छुपाये राज़ कई,,,

दुनिया अज़ब निराली क्यों हैं??
सत्य की रातें काली क्यो है??
चहरे पर मुस्कान सजी है,,,
अंतर्मन में गाली क्यों हैं??
@Pawan"अन्जान"

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क्या आस करें वरदानो की,हम शापों के अभ्यासी हैं।
रहे सन्यासों से शून्य मग़र, फिर भी हम सन्यासी हैं।।

आधे हुए गृहस्थ कभी,फिर विरक्त हुए आधे-आधे।।
ध्यान,धारणा,और समाधि कब लगे हमे साधे-साधे।।

जीवन ,मरण अर्पण,तर्पण,के सभी प्रश्न आभासी हैं,
रहे सन्यासों से शून्य मग़र, फिर भी हम सन्यासी हैं।।
@Pawan"अन्जान"

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यहाँ कौन है जिसको कमीं नही आई,,
किसे आसमाँ मिला तो ज़मी नही आई।।
बस यूं ही मुकद्दर पे रोज़- रोज़ हँसता हूँ,,
तेरी क़िस्मत पे तुझे शायद हँसी नही आई।।
Pawan@"अन्जान"

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नित नये नवीन रंग भर रही है जिंदगी।।
कैद में पड़ी मग़र संवर रही है जिंदगी।।

पवन "अन्जान"

हर जनम हर कदम हम तो रीते रहे।।
ख्वाब अहसास के हम पे बीते रहे।।
तुम मिलो या मिले हमको तन्हाईयाँ।।
हर घड़ी इस भरम को ही जीते रहे।।
पवन "अंजान"

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