मेरे शहर की शाम निराली है। 💞
तन पर सजता है चिकन, कभी स्वाद में उतर आता है, हर गली में एक मंदिर सांझे में मस्जिद आती है, मजहब और संस्कारों का पाठ पढ़ाती है! रौनक यहां अमीनाबाद क्या गंज दोनों की छटा निराली है. मजाज, असर लखनवी की जुबां पर मुहब्बत की कहानी है, थोड़ी उर्दू थोड़ी हिंदी की मिक्सउप जबानी है.! मेरे शहर की हर बात निराली है, पकाते हैं ख्याली पुलाव, सबकी जेब तो खाली है,
पर हर शख्स यहाँ का नवाबी है.,
कुछ खामी है कुछ हुनर भी लिख ना पाये जितना उससे भी ज्यादा इसके किस्से कहानी है।