वंदना गुप्ता जी द्वारा लिखित दूसरी कड़ी में मुकुल की उपेक्षा से आहत कामिनी कालेज में अपनी सखी नीलम से अपना दुख बांटती है। जानना रोचक होगा कि कामिनी का दुख कम होता है या नीलम ही किसी सोच में डूब जाती है? क्या है इसका कारण जानने के लिए पढें देह की दहलीज पर कड़ी 2