कविता
तुम पर कविता कैसे लिख दूँ
बन्द हैं राहें क्यूँ कर खोलूं ।
रात वीरानी की है तुमने
दिन की कहानी कैसे बोलूं ।
सावन आया बहार नहीं है
बरखा से क्या शिकवे कर लूँ ।
जीवन का ताना - बाना हैं उम्मीदें
टूटी उम्मीदों से आँचल भर लूँ।
कहा था तुमने आओगे इक दिन
उस दिन की तोहमत में जी लूँ ।
तुम पर कविता कैसे लिख दूँ
बन्द हैं राहें क्यूँ कर खोलूं ।
सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा
डी - 184 , श्याम पार्क एक्सटेंशन ,
साहिबाबाद - 201005।( ऊ.प्र . )