हम में! हमारी तकदीर
एक सुनहरा अवसर खोजती है -
यदि हम! स्वयं अपने परिश्रम के बल
तथा अपनी सच्ची श्रद्धा-भक्ति से,
सत्कर्म की ओर, दृढ़ता से दो कदम आगे बढ़तें चलें,
जिसे ज्ञात कर तकदीर,प्रसन्नचित्त होकर
हमारा रास्ता खोलकर,बहुत आगे निकल जाती है,
जो हमें!हमारी कामयाबी के मंजिल पर जा मिलती है।