पूरी दुनिया कर रही है वाहवाह पढ़कर मेरी शायरी को(2)
एक तू ही क्यों न समजा मेरे इस दर्द के आलम को..।
वाकिफ तू भी है अच्छे से इस गम -के हर राज को..(2)
फिर भी तूने न पूछा हाल सलाम तेरे इस अंदाज को।।
गलतियों पे तेरी पर्दा करु तो भी कितना करु..(2)
तेरी इस बेरुखी को कोसु या गिला अपनी किस्मत का करु
अपनी चाहत को बदनाम न होने दे जमाने मे इसलिए..(2)
जा बेगैरत तेरी सजा भी में कुछ इस कदर ले लेती हूं..
है होठ खामोश हो पर आंखों से फरियाद करती हूं..।