Hindi Quote in Poem by Kruti Patel

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क्या गझबकी रसम हैं ईस दुनियाकी,
जख्मों पर जो मरहम लगाता है वो हि जख्म देता हैं।

और अभी भी मुझे ये देखना था बाकी,
जख्म देने वाला हि आजकल मरहम फिर लगाता हैं।

और जमाना तो देखो ये भी क्या रीत हुई,
फिर मरहम लगाकर और गहेरे जख्म वो देता है।

और ईतने बेवकूफ़ तो फिर हम भी हैं कि,
बार बार वो येही रसम करते हैं जानकर उन्हें फिरभी माफ करते हैं।

- કૃતિ પટેલ "कृष्णप्रिया"

Hindi Poem by Kruti Patel : 111362276
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