वक़्त....
आज सोचा है वक़्त की बात करते है।
अक्सर हम सोचते है कि जो वक़्त बीत गया उसमे हमनें बहुत सी गलतियां की है और उनके बारे मे हम सोच कर काफी दुखी महसूस करते है खुद को।
लेकिन हम ये भूल जाते है कि उस वक़्त हमने ऐसा क्यों किया ।शायद हमारा दिल और दिमाग यही कह रहा था।
तो उस बात का क्या दुख करना।
मतलब जो बीता बड़ा अनुभव देने वाला होगा।
अब बात करते है आने वाले पल की- हम सोचते है कि आने वाला पल कैसा होगा, हम वक़्त से बड़ी उम्मीद लगाकर बैठते है, अक्सर सोचते है भविष्य की चिंता करते है।
हम भूतकाल का सोच रहे है भविष्य का सोच रहे है।
लेकिन सोचा एक ऐसा समय आपके सामने है जिसमे ये पूरा रंगमंच आपका है।
आपके सामने आपका आज है कल जो हुआ था वो गया, कल जो होगा वो देखने के लिये अगली सुबह का इंतजार करना पड़ेगा । आज हम क्या है, क्या कर रहै है, जी भी रहे है के नही।
वो देखना जरूरी है आज अगर खुल के जी लिए, काम कर लिया पूरे जी जान से तो बस एक सुकून है कि आज जिया ओर बस जी लिया।
अक्सर होता ये है कि हमे पता नही लगता कि जीना किसे कहते हैं, हम जीने की भाग दौड़ में जीना भूल चुके है।
कैसे
क्योंकि हम खुश नही है अपने आप से, किसी न किसी बात से।
कुछ हमे सोचने पर मजबूर कर रहा है।
कल सुबह फिर हमें काम करना पड़ेगा इसी चिन्ता मे है हम।
अरे रुको 5 मिनट देखो आस पास क्या चल रहा है कोई छोटा बच्चा है आस पास तो उसकी गतिविधियों को देखो वो मस्त खेल रहा है बिना कल की फिक्र के।
अपने आप को जीने की कोशिश करो ,मुस्कुराओ थोड़ा।
थोड़ा और ,,,, बस थोड़ा सा ओर।
ओर बस रुक जाओ थोड़ी देर इसी समय में।
देखो कितना आनंद है।