यह शहर है तेरा मैखना सा
दीवानों में है जीने का नशा
यह ...........।
वो शाम हुई नशीली, प्यालों में
चटकते पैमाना, फूटा इस कदर
दिले गुबार सा,,,,
यह ........।
मदहोश हुए हम , मै का क्या कसूर
गिरकर निभाया, मैखाने का दस्तूर
आवारा बदनाम सा......
यह...........।
मैखाना गुलज़ार थी हर शाम दोस्तों
टूटते प्यालों में देखा ,' लीना '
तेरे ज़ख्मों को सीने का नशा......
यह.........।
'लीना '