?: हेल्लो दोस्तों !... मैं स्वयं प्रकाश मिश्र , विशेषतया आभारी हूं आप सभी का जिनसे आशीष और सहयोग प्राप्त कर मैं अपनी पुस्तक को किसी न किसी प्रकार आप सब तक पहुंचा पा रहा हूं....
सच! यदि आप द्वारा मेरी रचनाओं को सराहा न गया होता, तो शायद यह स्वप्न में भी सम्भव न था कि मैं अनेकानेक पत्र पत्रिकाओं में नियमित लिख पाता !... और लोगों की प्रशंसा का पात्र बनता ,इसलिए मैं आप सब का बहुत बहुत आभारी हूं।...
कृपया करके एक बार फिर मोहब्बत से जुड़ी मेरी ये **पुस्तक* " कल्पना की रोम " फ्री में पढ़ने के लिए नीचे दिए *लिंक* पर *क्लिक* करे !....
https://www.matrubharti.com/book/19875667/kalpana-ki-rom