मन अवध हुआ तुम राम हुए
हिय राधा सा तुम श्याम हुए
राग-रंग-रस-रास लिए
तुम दिवाली की शाम हुए
मन अवध हुआ.....
मन रोशन होता तेरे आने से
अब आओ किसी बहाने से
हास और उल्लास लिए
तुम स्वर्गलोक का जाम हुए
मन अवध हुआ.....
मेरे जीवन का तुम पुण्य कर्म
सिखलाया मुझको प्रेम धर्म
एक अद्भुत अहसास लिए
तुम मेरा चारों धाम हुए
मन अवध हुआ....
- आशुतोष मिश्र