तेरे अश्क़ो ने ब्या किया था,
कि क्या दर्द था तेरा?
तेरे लफ्जों ने समझाया मुझे,
कि क्या एहमियत है मेरा?
लेकिन क्या कहूं तूझसे मैं,
कहना है मुश्किल?
उस वक्त शायद हो चुका था,
समय मेरा बुजदिल...
तेरे जख्म से मैं जाना,
कि कौन कातिल था तेरा ?
वो दिल तो तेरा था?
लेकिन उस दिल में ,
क्या एहमियत है मेरा?
क्या एहमियत है मेरा?