बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध को तथागत भी कहा जाता है। उनके प्रवचनों में और प्रसंगों में जीवन को सुखी बनाने के सूत्र छिपे होते हैं। एक प्रसंग के अनुसार बुद्ध की सभा में अमीर-गरीब सभी तरह के लोग आते थे।
एक दिन उनके प्रवचन में एक सेठ पहुंचा। सेठ को बुद्ध की बातों ने बहुत प्रभावित किया। उसने उन्हें अपने घर खाने पर आमंत्रित किया। बुद्ध ने सेठ की बात मान ली। शिष्यों ने सेठ से कहा कि ध्यान रहे तथागत सिर्फ ताजा भोजन ही ग्रहण करते हैं। सेठ ने कहा कि ठीक है।
अगले दिन बुद्ध उस सेठ के यहां खाना खाने पहुंचे। सेठ ने तथागत को बताया कि वह जन्म से ही अमीर है। उसके पूर्वजों ने इतना धन कमाया कि आज उसे कुछ भी करने की जरूरत नहीं होती है। आने वाली सात पीढ़ियां भी आराम से रह सकेंगी। कुछ देर बाद बुद्ध के लिए भोजन परोसा गया।
बुद्ध के सामने खाना आते ही उन्होंने सेठ से कहा कि मैं ये भोजन ग्रहण नहीं कर सकता। मेरे शिष्यों ने आपको बताया था कि मैं सिर्फ ताजा भोजन ग्रहण करता हूं। सेठ ने कहा कि तथागत ये ताजा भोजन ही है। तब बुद्ध ने कहा कि नहीं ये भोजन तुम्हारे पूर्वजों की कमाई से बना है। इसके लिए तुमने कोई श्रम नहीं किया है। जिस तुम अपनी मेहनत से धन कमाकर मुझे खाना खिलाओगे, मैं खुशी-खुशी वह खाना ग्रहण कर लूंगा।
*कथा की सीख* इस कथा की सीख यही है कि व्यक्ति को दूसरों के कमाए धन पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। धन कमाने के लिए खुद मेहनत करनी चाहिए। तभी हमारा जीवन सार्थक हो सकता है।
*सुप्रभात*
*आपका दिन मंगलमय हो....?*