Hindi Quote in Poem by Neha Bhardwaj

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नारी जिसके नाम में..नर है समाया
#KAVYOTSAV - 2

नारी जिसके नाम में..नर है समाया ,

नर को कौन..नारी से पृथक कर पाया ,

क्या कभी कोई पुरूष..स्त्री से खुद की तुलना है करता ,

जानता है भली भांति..दोनो के गुणों में नही है समानता !

ईश्वर की सृष्टि सृजन में तुम स्वयं हो जीवनदात्री ,

नौ महीनों की तपस्या से उत्पन्न करती हो..जीव , बनकर जननी...

है केवल तुम्ही में ताकत , जो व्रत उपवास से बढ़ा दे..पति परमेश्वर की उम्र ,

कुछ तो होगा ही खास क्यों तुम्हारी उम्र में वृद्धि की नही कोई पूजा , व्रत !

क्या कभी होती है...पूजा पुरुषों की !

ये सौभाग्य मिला है केवल...स्त्रीरूप को ही !

क्या कभी किसी पुरूष को देखा है.. मनुष्य के ईश्वररूप में..

दुर्गा रूपी कन्या , सरस्वती रूपी माँ , लक्ष्मी रूपी बहू केवल स्त्री ही जन्म लेती मनुष्य रूप में !

यदि लगे जीवन है..तुम्हारा व्यर्थ !

लेना दिनभर अवकाश..स्पष्ट हो जायेगा अर्थ ,

निर्भर है केवल तुम पर...कब समझोगी ये गूढ़ रहस्य ,

साकार होगा नारी जीवन उस दिन , जब खुद समझोगी खुद का मूल्य !

© नेहा भारद्वाज

Hindi Poem by Neha Bhardwaj : 111170845
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